जी हां, आज़ादी का वो जश्न जिसे "जश्न-ऐ-आज़ादी" कहे या "स्वतंत्रा दिवस" कहे या अपने शब्दों में ये भी कह सकते है की हमे इस दिन जीने के वो सारे मौलिक अधिकार मिल गए जो अंग्रजो के पैरो तले दबे हुए थे। पुरे देश में इस समय जश्न का माहौल बना हुआ है। पूरा भारत अपनी आज़ादी का 72वाँ स्वतन्त्रा दिवस मानाने जा रहा है। जी हाँ 15 अगस्त 2018 को भारत के स्वतंत्रा के 71 साल पुरे होंगे और पूरा देश 72वाँ स्वतन्त्रा दिवस मनाएगा। 15 अगस्त के दिन पूरे देश में एक अलग ही माहौल रहता है , बच्चो से लेकर बुजर्गो तक सब आज़ादी के जश्न में चूर रहते है। बच्चे ज्यादातर पतंग उड़ाकर जश्न मनाते है। स्कूल, कॉलेज, दफ्तर आदि जगहों पर तिरंगा फ़रया जाता है और राष्ट्रगान होता है। इस दिन हमारे देश के प्रधानमंत्री लालकिले पर ध्वज फहराते है और महापुरषो को श्रंद्धाली देते है। जिनका इस देश की आज़ादी में बहुत बड़ा योगदान रहा है। स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों में भी महापुरषो को श्रंद्धाली दी जाती है और देश के लिए दिए गए उनके बलिदान को याद किया जाता है और जगह - जगह सभाओ का भी आयोजन किया जाता है।
चलो फिर से खुद को जगाते है,
अनुसाशन का डंडा फिर घूमाते है,
सुनहरा रंग है गणतंत्र स्वतंत्रता का,
शहीदों के लहू से ऐसे शहीदों को हम सब सर झुकाते है…
जी हाँ, ऐसे शहीदो को हम सब सर झुकाते है। ....इस दिन का एक अलग ही महत्ब होता है। इस दिन के आते ही शहीदो की शान में सर खुद ही झुक जाता है और उनके दिए गए इस बलिदान को याद करके हमे भी प्रेणना मिलती है।
आजादी के वो दिन .....
आज़ादी के वो दिन जिनको याद करके हमे भी गर्व महसूस होता है। 1940 के दशक में आज़ादी का बिगुल बजा था और आखिर में 15 अगस्त 1947 को हमे अंग्रेजों की गुलामी से आज़ादी मिल गई। लगभग 200 साल तक हम अंग्रजो के अत्याचार और गुलामी सहते रहे। ब्रिटिश सरकार ने हम भारतीयों पर बहुत जुल्म किए। लेकिन उसी दौर में भारत ने ऐसे वीर सपूतो को जन्म दिया जिन्होंने ब्रिटिश सरकार से आज़ादी लेने की कसम खा ली। ना जाने कितने ही वीरो ने सीने पर अंग्रेजो की गोलिया खाई। ना जाने कितने ही वीर सपूत इस धरती के लिए शहीद हो गए। उनमे भारत के कुछ ऐसे सपूत थे जिनका योगदान हमेशा याद किया जाता है और किया जाता रहेगा। इनमे कुछ नाम सरदार भल्लम भाई पटेल , भगत सिंह, सुभाष चंद्र बॉस, चंद्र शेखर आज़ाद और महात्मा गाँधी इत्यादि।
यूँ तो भारत की आज़ादी का बिगुल 1857 की क्रांति से ही बज चूका था। इतिहासकारो का मानना है की 1857 की क्रांति का भारत की आज़ादी में बहुत बड़ा योगदान है। जिसे झुटलाया नहीं जा सकता। इसके बाद धीरे-धीरे क्रांति का बिगुल और भी तेज़ होता गया और इसके बाद 1885 में इंडियन कांग्रेस की स्थापना की गई। जिसमे कांग्रेस के दिग्गज नेता सम्मलित हुए। चम्पारण, सत्यग्रह, दांडी मार्च, भारत छोडो आंदोलन हुए।
जिसने ब्रिटिश सरकार की नींव हिला कर रख दी। स्वतंत्रा के इस आंदोलन में भारत के हर जाति और धर्म के लगो ने हिस्सा लिया और अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
महात्मा गांधी के साथ इन आंदोलन की जिम्मेदारी जिन लोगो ने उठाई लाला लाजपत राय, बल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्णा गोखले, अरविंदो घोष, नेता जी सुभाष चंद्र बॉस, भगत सिंह, चंद्र शेखर आज़ाद इत्यादि थे। इसी दौरान सुभाष चंद्र बॉस ने "आज़ाद हिन्द फौज " की स्थापना की।
आखिर इन लोगो के संघर्ष से ब्रिटिश सरकार ने अपने घुटने टेक दिए और 15 अगस्त 1947 से हमारा देश आज़ाद हो गया। भारत के लिए 15 अगस्त 1947 का दिन एक पुनर्जन्म था। इस दिन पहली बार भारत के लालकिले पर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत का तिरंगा फहराया और लोगो को सम्बोधित किया।
इस तरह ये दिन भारत में बड़े हर्ष -उल्लास के साथ मनाया जाता है। सभी धर्म और जाति के लोग एक साथ तिरंगा फहराते है। हम आज़ाद भारत के आज़ाद नागरिक है। इसलिए हमे सभी को बुरे लोगो से अपने देश की रक्षा करनी चाहिए। ....
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्ता हमारा। ..
हिंदुस्ता हमारा। ..
धन्यबाद।
ये आर्टिकल आपको कैसा लगा अथवा इसमें क्या त्रुटिया है हमको कमेंट और मेसेज करके बातये।
चलो फिर से खुद को जगाते है,
अनुसाशन का डंडा फिर घूमाते है,
सुनहरा रंग है गणतंत्र स्वतंत्रता का,
शहीदों के लहू से ऐसे शहीदों को हम सब सर झुकाते है…
जी हाँ, ऐसे शहीदो को हम सब सर झुकाते है। ....इस दिन का एक अलग ही महत्ब होता है। इस दिन के आते ही शहीदो की शान में सर खुद ही झुक जाता है और उनके दिए गए इस बलिदान को याद करके हमे भी प्रेणना मिलती है।
आजादी के वो दिन .....
आज़ादी के वो दिन जिनको याद करके हमे भी गर्व महसूस होता है। 1940 के दशक में आज़ादी का बिगुल बजा था और आखिर में 15 अगस्त 1947 को हमे अंग्रेजों की गुलामी से आज़ादी मिल गई। लगभग 200 साल तक हम अंग्रजो के अत्याचार और गुलामी सहते रहे। ब्रिटिश सरकार ने हम भारतीयों पर बहुत जुल्म किए। लेकिन उसी दौर में भारत ने ऐसे वीर सपूतो को जन्म दिया जिन्होंने ब्रिटिश सरकार से आज़ादी लेने की कसम खा ली। ना जाने कितने ही वीरो ने सीने पर अंग्रेजो की गोलिया खाई। ना जाने कितने ही वीर सपूत इस धरती के लिए शहीद हो गए। उनमे भारत के कुछ ऐसे सपूत थे जिनका योगदान हमेशा याद किया जाता है और किया जाता रहेगा। इनमे कुछ नाम सरदार भल्लम भाई पटेल , भगत सिंह, सुभाष चंद्र बॉस, चंद्र शेखर आज़ाद और महात्मा गाँधी इत्यादि।
यूँ तो भारत की आज़ादी का बिगुल 1857 की क्रांति से ही बज चूका था। इतिहासकारो का मानना है की 1857 की क्रांति का भारत की आज़ादी में बहुत बड़ा योगदान है। जिसे झुटलाया नहीं जा सकता। इसके बाद धीरे-धीरे क्रांति का बिगुल और भी तेज़ होता गया और इसके बाद 1885 में इंडियन कांग्रेस की स्थापना की गई। जिसमे कांग्रेस के दिग्गज नेता सम्मलित हुए। चम्पारण, सत्यग्रह, दांडी मार्च, भारत छोडो आंदोलन हुए।
जिसने ब्रिटिश सरकार की नींव हिला कर रख दी। स्वतंत्रा के इस आंदोलन में भारत के हर जाति और धर्म के लगो ने हिस्सा लिया और अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
महात्मा गांधी के साथ इन आंदोलन की जिम्मेदारी जिन लोगो ने उठाई लाला लाजपत राय, बल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्णा गोखले, अरविंदो घोष, नेता जी सुभाष चंद्र बॉस, भगत सिंह, चंद्र शेखर आज़ाद इत्यादि थे। इसी दौरान सुभाष चंद्र बॉस ने "आज़ाद हिन्द फौज " की स्थापना की।
आखिर इन लोगो के संघर्ष से ब्रिटिश सरकार ने अपने घुटने टेक दिए और 15 अगस्त 1947 से हमारा देश आज़ाद हो गया। भारत के लिए 15 अगस्त 1947 का दिन एक पुनर्जन्म था। इस दिन पहली बार भारत के लालकिले पर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत का तिरंगा फहराया और लोगो को सम्बोधित किया।
इस तरह ये दिन भारत में बड़े हर्ष -उल्लास के साथ मनाया जाता है। सभी धर्म और जाति के लोग एक साथ तिरंगा फहराते है। हम आज़ाद भारत के आज़ाद नागरिक है। इसलिए हमे सभी को बुरे लोगो से अपने देश की रक्षा करनी चाहिए। ....
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