शिक्षक दिवस क्या है इसे क्यों मानाने है?
टीचर्स-डे कब मनाया जाता।
टीचर्स-डे मानाने का महत्त्व।
Why do celebrate Teacher's Day?हर साल की तरह इस बार भी 5 सितम्बर को टीचर-डे मनाया जाएगा। टीचर्स-डे आने से हफ्तों पहले से ही स्कूलों में इस दिन की तैयारिया शुरू हो जाती है। स्कूल में बच्चो और टीचरो के बीच एक अलग माहौल बन जाता है। बच्चे कई दिन पहले से ही इसकी तैयारिया शुरू कर देते है।
विधार्थी अपने प्रियः गुरु के प्रति मनोभावो को प्रदर्शित करते है। उन्हें गिफ्ट देते है, और भाषण देकर अपने प्रियः गुरु के प्रति अपने विचारो को व्यक्त करते है।
वास्तव में शिक्षक दिवस छात्र और शिक्षक के बीच एक महत्ब्पूर्ण गरिमा प्रदान करता है।
गुरु-शिष्य परंमपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है।
भारत में प्राचीन काल से ही गुरु व शिक्षक परम्परा चली आ रही है। जीने का असली सलीका हमें शिक्षक ही सिखाते हैं और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।
माता-पिता भी है एक शिक्षक का रूप
जीवन में माता-पिता का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता। क्योंकि वे ही हमें इस रंगीन खूबसूरत दुनिया में लाते हैं। कहा जाता है कि जीवन के सबसे पहले गुरु हमारे माता-पिता होते हैं।
जब हम इस दुनिया में आते है तो माँ ही वो सबसे पहली शिक्षिका होती जो अपने करूँन भाव से हमारे अंदर कुछ सीखने की कला विकसित करती है और इसके बाद से ही माता-पिता माध्यम से सीखने की प्रक्रिया चलती रहती है। वो हमे अच्छे बुरे रास्तो का ज्ञान देते है और हमेशा हमारी जरुरतो का ख्याल रखते है ।कभी हमारा साथ नहीं छोड़ते है। इसलिए दोस्तों माता-पिता का भी एक शिक्षक के रूप में सबसे बड़ा योगदान है। जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। अतः हम एक अच्छे जीवन के लिए अपने माता-पिता के आभारी है और एक अच्छे मार्गदर्शन के लिए शिक्षक के आभारी है।
एक महान देश को महान बनाने के लिए माता-पिता और शिक्षक ही जिम्मेदार होते है। इसलिए दोस्तों शिक्षक दिवस हमें अपने माता-पिता के साथ भी मानना चाहिये ।
शिक्षक दिवस कब मनाया जाता है ?
हर साल 5 सितम्बर, पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है। वास्तव में, 5 सितम्बर, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस है, जो महान विद्वान और शिक्षक थे। अपने बाद के जीवन में वह गणतंत्र भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति बने।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा में बहुत विश्वास रखते थे। वे एक महान दार्शनिक और शिक्षक थे। उन्हें अध्यापन से गहरा प्रेम था। एक आदर्श शिक्षक के सभी गुण उनमें विद्यमान थे। इस दिन समस्त देश में भारत सरकार द्वारा श्रेष्ठ शिक्षकों को पुरस्कार भी प्रदान किया जाता है।
शिक्षकों का छात्रों के प्रति योगदान
शिक्षक अपने छात्रों को ध्यानपूर्वक और ईमानदारी से अपने बच्चो के जैसे शिक्षा प्रदान करते हैं। यह एक दम सही कहा गया है कि शिक्षक का स्थान माता-पिता से भी बढ़ कर होता है। माता-पिता बच्चों को जन्म देते हैं और शिक्षक उन्हें सही ढांचे में डाल कर उनका भविष्य उज्जवल बनाते हैं।
हमें कभी भी अपने शिक्षकों को नहीं भूलना चाहिए। हमें उन्हें हमेशा सम्मान उर प्रेम देना चाहिए। हमारे माता-पिता हमें प्यार और हमारा अच्छे से देखभाल करते हैं और शिक्षक हमें सफलता के रास्ते पर भेजने की हर के कोशिस करते हैं।
वे हमें हमारे जीवन में शिक्षा के महत्व और ज़रुरत को समझाते हैं। वे हर एक विद्यार्थी के लिए प्रेरणादायक स्त्रोत होते हैं और उनके अनमोल विचार हम सभी को आगे बढ़न के लिए प्रेरित करते हैं। चलो दोस्तों, साथ मिलकर आज हम अपने सभी माननीय शिक्षकगणों को उनके इस महान कार्य के लिए आभार व्यक्त करे और उनसे आशीर्वाद ले कि उनके निर्देश और सलाह से हमें सफलता की अनंत ऊंचाई प्राप्त हो सके।
वर्तमान में शिक्षको की समीक्षा
आज तमाम शिक्षक अपने ज्ञान की बोली लगाने लगे हैं। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखें तो गुरु-शिष्य की परंपरा कहीं न कहीं कलंकित हो रही है। आए दिन शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों एवं विद्यार्थियों द्वारा शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें सुनने को मिलती हैं।
इसे देखकर हमारी संस्कृति की इस अमूल्य गुरु-शिष्य परंपरा पर प्रश्नचिह्न नजर आने लगता है। विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों का ही दायित्व है कि वे इस महान परंपरा को बेहतर ढंग से समझें और एक अच्छे समाज के निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करें।
शिक्षाको का देश के चरित्र निर्माण में महत्व
इसमें कोई संदेह नहीं है की आने वाली पीढ़ी को एक शिक्षक अच्छी शिक्षा देखर उनको देश के विकास की भागीदारी के लिए तैयार करता है ।
देश में जितने भी राजनेता है, डॉक्टर, इंजीनियर, कलाकार, व्यापारी इन सब को बनाने का श्रेह एक गुरु को ही जाता है।
इसलिए देश के हर व्यक्ति का ये श्रेह बनता है की शिक्षकों को एक योग्य स्थान मिले और उनकी उन्नति के लिए भी सरकार को विशेष कदम उठाने चाहिए है।
वास्तब में एक शिक्षक ही है जो देश के चरित्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाते हैं जितनी भूमिका शिक्षक की होती है उतनी किसी और की नहीं ।
में अपनी तरफ से विश्व के सभी शिक्षको को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुबकामनाएं देता हूँ।