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Saturday, August 18, 2018

बकरा ईद क्यों मानते है। /Bakra Eid Kyo Manate Hai/Why do believe in Bakra Eid?

हेलो  दोस्तों , ईद-उल-अज़हा (बकरा  ईद) आने  वाली  है और उम्मीद  करता  हूँ  की  आप  सभी  ने   क़ुरबानी  के  लिए  बकरा, दुम्मा , ऊट आदि  ले  लिए होंगे  या  पहले  से  ही  पाल  रखे होंगे   आज  हम  यहाँ  ईद-उल-अज़हा (बकरा  ईद) के बारे  में बात  करेंगे l

ईद क्या है?
दोस्तों सबसे पहले सवाल  यही बनता  है की ईद क्या है ?  दोस्तों ईद मुसलमानो  का  प्रमुख  त्यौहार  है जिसे  इस्लाम  धर्म  मानने वाला प्रत्येक  व्यक्ति  मनाता  है  और ईद को  एक  विशेष दर्जा  दिया  गया  है l  ईद एक साल में दो बार आती है जो  दो प्रकार  की होती  है  .....
1) ईद-उल-फितर या मीठी
2) ईद-उल-अज़हा या बकरा  ईद


सबसे पहले ईद-उल-फितर या मीठी ईद आती है जिसे पवित्र रमजान (उपवास )  के महीने  को पूरा  होने  के बाद मनाया  जाता  है l  ये त्यौहार बड़े  हर्ष- उल्लास के साथ  मनाया जाता है l  दोस्तों आज का हमारा  टॉपिक  ईद-उल-अज़हा (बकरा  ईद) के बारे में है तो आज हम ईद-उल-अज़हा (बकरा ईद) के बारे में बात करेंगे l  ईद-उल-फितर (मीठी ईद) के बारे में जानने  के लिए हमारे  ईद-उल-फितर (मीठी ईद) का ब्लॉग  देखे या आप हमे  कमेंट  अथवा ईमेल  पर  भी  सवाल  कर सकते  है l

ईद-उल-अज़हा ( बकरा  ईद ) कब  मनाई जाती  है.....
दोस्तों ईद-उल-अज़हा (बकरा  ईद), ईद-उल-फितर (मीठी ईद)  के लगभग 70 दिन  बाद आती जिसे इस्लामिक कैलेंडर के 12वे  महीने धू-अल-हिज्जा की 10वी तारीक को मनाया जाता है।  ईद-उल-अज़हा (बकरा ईद)  मे चाँद  दस दिन पहले दिखता है जबकि  ईद-उल-फितर (मीठी ईद) में चाँद एक दिन पहले दिखाई देता ।  इस्लाम धर्म में त्यौहार चाँद देखकर ही मनाये जाते है l बकरी ईद के महीने में सभी देशो के मुसलमान एकत्र होकर मक्का मदीना में (जो की सऊदी  अरब में है ) हज (धार्मिक यात्रा) करते हैl इसलिए इसे हज का मुबारक महीना भी कहा जाता है।   



ईद-उल-अज़हा (बकरा ईद) क्या है.....
दोस्तों ईद-उल-अज़हा (बकरा ईद) एक बालिदान की भावना का त्यौहार है इस  दिन बकरा अथवा किसी और जानवर (जो इस्लाम धर्म में मान्य है ) की क़ुरबानी (बलि) दी जाती हैl इस दिन अल्लाह इंसान के बहुत करीब होते जिन्हे क़ुरबानी देकर खुश किया जाता है अतः अल्लाह को खुश करने के लिए क़ुरबानी दी जाती हैl



क्या ईद-उल-अज़हा (बकरा ईद) खुशियाँ मानाने का त्यौहार है....
दोस्तों बात ध्यान  देने  वाली है मेने  इंटरनेट  पर कई  सारे ब्लॉग देखे  जिनमे  बताया गया है की ईद-उल-अज़हा (बकरा  ईद) खुशियाँ मनाने का त्यौहार हैl दोस्तों में तो यही कहूंगा  की ये खुशियाँ मानाने का नहीं  बल्कि बलिदान की भावना का त्यौहार हैl  दोस्तों जब हम किसी जानवर को कुर्बानी के लिए रखते है तो वो  हमारे बहुत करीब हो जाता हमे उससे प्यार हो जाता इतना प्यार की वो हमे हमारा फैमली मेम्बर की तरह  लगने लगता है अब आप ही सोचिये हम अपने किसी प्रिय को कुर्बान करके खुशियाँ मना सकते है क्या ये अल्लाह के फरमान को पूरा करने के लिए किया जाता हैl अक्सर मेने क़ुरबानी के बाद लोगो को रोते देखा है इसलिए दोस्तों मेरी नज़र में इस त्यौहार को खुशियों का त्यौहार मानना गलत है और कहना भी l

ईद-उल-अज़हा को बकरा ईद क्यू  बोलते  है......
दोस्तों अक्सर ईद-उल-अज़हा को बकरा ईद बोलते हुए  देखा गया है लेकिन इस ईद में बकरा शब्द  से कोई लेना देना नहीं है सच तो ये है की अरबी में एक शब्द है बकर जिसका अर्थ  है बड़ा जानवर अतः जरुरी नहीं है की बकरा ईद पर बकरा की ही क़ुरबानी की जाये  इस्लाम धर्म  के अनुसार  कोई भी बड़ा जानवर जो जायज़ (मान्य) उसकी क़ुरबानी दी जा  सकती  हैl  बकर शब्द को ही बिगड़कर  लोगो ने  (हिंदुस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश  आदि )  ने इसका  नाम  बकरा ईद रख  लिया हैl 



ईद-उल-अज़हा (बकरा ईद) क्यू मनाई जाती.... 
ईद-उल-अज़हा (बकरा  ईद) या क़ुरबानी का नाम सुनकर  कुछ  लोगो के दिमाग  में सिर्फ एक सबाल हमेशा चलता रहता की आखिर क्यू एक बेज़ुबान जानबर को कुर्बान किया जाता और क्यू न ये सब आपके दिमाग में चले आखिर किसी को कुर्बान करना इतना आसान  थोड़ी हैl दरसल इस क़ुरबानी के पीछे एक बहुत ही रोंगटे  खड़े  करने वाली कहानी  है जिसे सुनकर हर किसी की सास कुछ पल के लिए थम  जाये और तब आप समझ सके की क़ुरबानी क्यों की जाती है l


दरसल बात हजरत इब्राहिम की है जो इस्लाम धर्म में पैग़म्बर हुआ करते थे उन्हें अल्लाह का करीबी माना जाता था वो अल्लाह के बहुत बिश्वास पात्र थे और अल्लाह उनकी परीक्षा लेना चाहता था l
एक बार हजरत इब्राहीम रात में सो रहे थेl तभी सोते वक्त उनको सपने में अल्लाह का हुक्म ईजाद हुआ की हजरत इब्राहिम आप अपने सबसे करीबी और सबसे प्यारी चीज हम पर कुर्बान कर दोl अगली सुबह हजरत इब्राहिम ने अपने घरवालों को बताया और मश्वरा  किया,की अल्लाह की हुमक है की वो अपनी सबसे प्यारी चीज को अल्लाह की राह में कुर्बान कर देअब सब सोच में थे की आखिर सबसे प्यारी वो चीज क्या है,जिसे  हजरत इब्राहिम अल्लाह अल्लाह की राह में कुर्बान करेंगेतब हजरत इब्राहीम ने कुछ देर सोचने के  बाद फैसला लिया की वो अपने अज़ीज़  को कुर्बान करेंगे और वो अज़ीज़ उनका  बेटा हजरत इस्माइल थे जिनकी उम्र मात्र 10 साल थीl जो बाद  में पैगम्बर हुए लोगो  को जब इस बारे में पता चला तो वो भौचक्के रह गएl लेकिन हजरत इब्राहिम को तो अपना बेटा कुर्बान करना थाl आखिर अल्लाहा का जो हुक्म था और अल्लाह के हुक्म की नाफरमानी कैसे कर सकते थेl कुर्बानी का समय आ गयाl हजरत  इस्माइल को कुर्बानी के लिए तैयार किया गयाl लेकिन बेटे को कुर्बान करना इतना आसान नहीं थाl क़ुरबानी करते टाइम  बेटे के प्यार की भावना उनकी क़ुरबानी के आड़े न आ जाये इसलिए हजरत इब्राहीम ने अपनी आखो पर पट्टी बांध ली और बेटे को कुर्बान करने लगेl लेकिन अल्लाह तो हजरत इब्राहिम का इम्तहान  ले रहे थेl जैसे  ही हजरत इब्राहिम ने क़ुरबानी के लिए छुरी बेटे हजरत इस्माइल की गर्दन पर रखी तभी अल्लाह के फरिस्ते ने बहुत तेजी से हजरत इस्माइल को हटाकर उनकी जगह दुम्बा ( बकरे की तरह जो सऊदी में पाया जाता है ) को रख दिया और हज़रत इब्राहिम से कहा की आपकी क़ुरबानी अल्लाह ने कबूल की वो क़ुरबानी पहली क़ुरबानी थी और तभी से ये क़ुरबानी का त्यौहार ईद-उल-अज़हा (बकरा  ईद) मनाया जाने लगा हमारे पूरे संसार में ईद-उल-अज़हा (बकरा  ईद) मनाया जाता हैl ज्यादातर लोग  बकरे की ही क़ुरबानी देते है और ये क़ुरबानी सभी पर जायज हैं  जिसके पास सब मिलाकर 13000 रूपये  का माल है 
एक बकरे को बड़े प्यार से पाला जाता है और फिर उसे कुर्बान किया जाता जिससे  बलिदान की भावना बढ़ती है इस तरह क़ुरबानी की प्रथा चली आ रही है 

बकरा ईद किस प्रकार मनाई जाती  है ...
दोस्तों जिस दिन ईद मनाई जाती है उस दिन सभी ￰मुस्लिम लोग सुबह जल्दी उठते और सबसे पहले जिस जानवर की कुर्वानी देनी होती है उसको नहलाते और खाने के लिए तरह - तरह की चीजे देते है उसके  बाद सभी लोग तैयार होकर ईद की नमाज़ पढ़ने चले जाते है मस्जिद में सभी के लिए दुआए होतीं हैं और दुआ की जाती है की अल्लाह सभी की क़ुरबानी को कबूल करे 

दोस्तो मस्जिद से आने के बाद क़ुरबानी के जानवर को जिबह (गर्दन को धीरे-धीरे काटना )  किया जाता है जिबह करना  इस्लाम धर्म में सुन्नत ( अच्छा )  माना जाता हैं और कहा जाता है की जिबह करने से शरीर का सारा खून बहार निकल जाता है जिससे किटाणु खून के साथ बाहर आ जाते है और मीट खाने से किसी तरह की बीमारी होने का खतरा नहीं रहता है क़ुरबानी के गोस्त के 3 हिस्से  किये  जाते है । एक हिस्सा  गरीबो  में बांटा जाता हैं दूसरा हिस्सा पडोसी और रिस्तेदारो में और तीसरा हिस्सा अपने घर के लिए होता  है 
दोस्तों बकरी ईद पर ये ध्यान रखा  जाता है की कोई भी पडोसी या रिस्तेदार  या गरीब  भूखा ना रहे इसके बाद सभी एक दूसरे  के घर मिलने जाते हैं इस तरह ईद का ये त्यौहार सभी मिल-जुल कर  मानते  है 

ईद के दिन हम किन-किन बातो  का ध्यान रखे ......
1) जिस जानवर की क़ुरबानी करे उसका खून नाले में न बहाये  
2) क़ुरबानी के गोस्त को तीन  हिस्सों में करे, जैसे ऊपर  बताया गया है 
3) याद  रखे जिस जानवर की आप कुर्वानी दे रहे हो वो बीमार न हो अथवा उसके कही चोट न लगी  हो 
4) अपने आस  पास के गरीब लोगो का भी ख्याल  रखे 
5) किसी खुली जगह ( सड़क , चौराहे , पार्क ) में क़ुरबानी न करे 
6) क़ुरबानी के अनावश्यक  हिस्सों को नाले अथवा खुली जगह में न डाले  कही एक गड्डा खोदकर दबा  दे 
7) क़ुरबानी करते टाइम स्वछता का विशेष ख्याल रखे
8)  क़ुरबानी करते टाइम गैरमुस्लिम  भाइयो  भी ख्याल रखे ऐसा  बिलकुल न करे जिससे उन्हें कोई तकलीफ  हो 

इस प्रकार इस्लाम में बकरी ईद का त्यौहार मानते है ये त्यौहार प्यार, बलिदान और शांति  का प्रतीक  है लेकन आज के टाइम में लोग दिखावा  ज्यादा  करते है  आप सभी लोगो से यही सम्बेदना  है की दिखवा  बिलकुल न करे और प्यार शांति के साथ मिल-जुल कर त्यौहार मनाएं 


ईद उल जुहा  का चाँद हुआ है यारो 
खुदा के करीब आने का आगाज  हुआ है यारो 
कर लो तैयारी  तुम  कुर्बान ऐ बकर की 
पैगामे ऐ खुदा से आया है ये यारो 

गोस्त ऐ क़ुरबानी तुम बाटना  गरीबो में यारो 
ना रहे कोई भूखा बस्ती  में यारो 
देख रहा होगा खुदा भी मंजर  ऐ क़ुर्बा  का 
न करना दिखवा ऐ क़ुरबानी का यारो 

प्यारी है क़ुरबानी अल्लाह को इसमें कोई सक  नहीं 
दी थी पहली क़ुरबानी हजरत इब्राहिम ने कोई और नहीं

पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए धन्यवाद..

मुझे उम्मीद  है की ये आर्टिकल आपको पसंद आया होगा  इस आर्टिकल से सम्बंधित किसी भी सबाल अथवा सुझाव के लिए आप हमे कमेंट अथवा मेल कर सकते है

3 comments:

  1. आपने ने बहुत अच्छी जानकारी दिया है. आप मेरे मार्गदर्शक हैं. आपको देखकर मैं ब्लॉगिंग शुरू किया है. आपके लेख से प्रभावित होकर मैं एक लेख लिखा है. कृपया मेरे वेबसाइट विजिट करें. कोई कमी हो तो कमेंट करके जरूर बताइएगा.

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